वैसे तो हिन्दी अपराध साहित्य में छपने वाले आवरण चित्र ही बहुत रोचक होते हैं लेकिन कवर्स के बाद जो चीजें मुझे रोचक लगती हैं वो इन किताबों के बीच में छपने वाले विज्ञापन। कई बार तो विज्ञापन साधारण होते हैं लेकिन कई बार विज्ञापनों में रेखा चित्र दिए होते हैं। हमेशा से ही ऐसे रेखा चित्रों के प्रति मेरा आकर्षण रहा है। यह रेखा चित्र जिन किताबों के विज्ञापन देते हैं उनके प्रति रूचि जगाते ही जगाते हैं। अब निम्न रेखा चित्र देखिये:
अब ऊपर दिए रेखा चित्र अगर आप देख रहे हैं तो यह वेद प्रकाश शर्मा द्वारा रचित देवकांता सन्तति का विज्ञापन है। विज्ञापन में चार किरदार हैं और विज्ञापन देखकर आपके मन में इनके विषय में जानने की रूचि जागृत हो जाती है। है कि नहीं?
© विकास नैनवाल 'अंजान'
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