शीर्षक : खून की प्यासी
लेखक : अनिल मोहन
अनिल मोहन जी का एक थ्रिलर। उपन्यास ठीक ठाक था लेकिन कवर जबर्दस्त है। वो आँखें, खून में लथपथ लड़की और एक खून से सना हथियार आपको काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर सकता है।
खैर कवर एन्जॉय करें।
किताब जब पहली बार देखते हैं तो उसका आवरण ही है जो आपको उसे उठाने को मजबूर करता है। शायद यही कारण है कि अंग्रेजी में Don't Judge a book by its cover कहा जाने लगा क्योंकि लोग आवरण देखकर ही किताब का अंदाजा लगाने लगे थे। हाँ, एक अच्छा आवरण किताब के अच्छे होने की गारंटी नहीं होता है लेकिन एक अच्छी किताब पर लगा हुआ अच्छा कवर उस किताब के प्रति पाठकों का कोतूहल जरूर बढ़ा सकता है। यह ब्लॉग ऐसे ही कलात्मक और आकर्षक आवरणों के लिए हैं। उम्मीद है आपको यह प्रयास पसंद आएगा।
आप के ब्लॉग की विषयवस्तु काफ़ी अलग है। शुभकामनाएं स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंएक अनुरोध है कि ब्लॉग पर ब्लॉगर वाला फॉलोवर विजेट लगा लें। पाठकों को आप के ब्लॉग की फीड सहजता से मिल जाया करेगी।
शुक्रिया, शिवम् जी। मैंने फॉलोवर विजेट को ब्लॉग में जोड़ दिया है।
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