मंगलवार, 13 जुलाई 2021

आवरण चित्र: सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग

अगर बचपन में आपकी बाल उपन्यासों में रूचि रही हो तो ऐसा नहीं हो सकता है कि आपने कभी एस सी बेदी का नाम न सुना हो। 90 के दशक में उनके राजन-इकबाल श्रृंखला के उपन्यास काफी प्रसिद्ध हुए थे। 

यह चालीस पचास पृष्ठ के लघु-उपन्यास होते थे जिनकी कहानियाँ बहुत ही सरल होती थीं। बच्चों के बीच वह खासे प्रसिद्ध थे। इनके नायक राजन-इकबाल हुआ करते थे जो अपने प्रेमिकाओं शोभा और सलमा के साथ मिलकर देश के दुश्मनों से लोहा लिया करते थे।  चूँकि यह एक तरह से पल्प उपन्यास थे तो उनके आवरण चित्रों पर इसकी झलक मिलती थी और यह आवरण चित्र खासे आकर्षक होते थे। 

परन्तु यहाँ मैं ये बात साफ़ करना चाहूँगा कि अक्सर उनके आवरण चित्रों का कहानी से ज्यादा लेना देना नहीं होता था और यह मुझे उन आवरण चित्रों की कमी लगती थी। अब आज जो आवरण चित्र मैं प्रस्तुत करने जा रहा हूँ उसे ही देख लीजिये। 

आवरण चित्र: सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग

तो देखा आपने आवरण चित्र। अब इस आवरण चित्र में गौर किया होगा कि यहाँ दो चरित्र दिखाई दे रहे हैं। एक तो यहाँ एक सूट बूट धारी मर्द है जिसके हाथ बंधे हुए हैं। वहीं दूसरा चरित्र एक सुन्दर युवती का है। युवती कपड़ों से शहरी नहीं बल्कि गाँव की लग रही है। वहीं उसने आदमी पर चाकू ताना हुआ है। आदमी के चेहरे पर निशान है जिससे खून रिस रहा है। निशान चाकू से लगा हुआ लगता है। 

आवरण चित्र देखते ही आपके दिमाग में कुछ प्रश्न उठने लगते हैं। यह व्यक्ति कौन है? यह युवती कौन है और उसने उस व्यक्ति को क्यों पकड़ कर रखा है? वह उसे पकड़ कर क्या हासिल करना चाहती है? क्या युवती अकेले काम कर रही है या फिर उसकी कोई गैंग भी है? 

चूँकि आवरण यह है तो आप यह सोचते हुए कहानी पढ़ने लगते हो कि कहानी में इसका जवाब मिलेगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। इस आवरण का कहानी से दूर दूर तक लेना देना नहीं है। न ही कोई गाँव की गोरी यहाँ है और न ही वह किसी शहरी बाबू को कैद करके रखती है। 

ऐसा नहीं है कि उपन्यास रोचक नहीं है या उपन्यास की कहानी से मिलता जुलता आवरण चित्र प्रकाशक बना नहीं सकता था। परन्तु ऐसा न कर उसने ये चित्र क्यों दिया यह मुझे समझ नहीं आता है। कहानी के हिसाब से इससे कई गुना बेहतर कवर बन सकता था।

अभी तो मैं यही कहूँगा कि कवर आकर्षक जरूर है लेकिन उपन्यास के साथ चूँकि न्याय नहीं करता है मेरी नजर में एक अच्छा कवर नहीं है। कहते हैं न कि 'डोंट जज का बुक बाय इट्स कवर'। शायद इन उपन्यासों के लिए भी इसे कहा गया है। 

आपका क्या सोचना है? क्या आपको भी कभी ऐसे कहानी अलग और आवरण अलग देखने को मिला है? आप ऐसे आवरण चित्रों को किस तरह देखते हैं? मुझे बताइयेगा जरूर। 

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