मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

आवरण चित्र: हिमसुंदरी

ज मैं आपके समक्ष यमुना दत्त वैष्णव की किताब हिमसुंदरी का आवरण चित्र लेकर आया हूँ। हिमसुंदरी मैंने 2018 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेले से खरीदी थी। पुस्तक मेलों में मुझे घूमना पसंद रहा है क्योंकि उधर काफी ऐसी किताबें मिल जाती हैं जिनके विषय में पुस्तक मेले में जाने से पहले मुझे कोई जानकारी नहीं रहती है। ऐसे में नई और अनजान किताबों को मैं अपने साथ लेकर आ जाता हूँ। 2018 के दिल्ली पुस्तक मेले में भी ऐसी काफी किताबें मेरे साथ मेरे घर आईं थीं। 2018 के इस पुस्तक मेले की मेरी घुमक्कड़ी का वृत्तांत आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला- 2018 

हिमसुंदरी की बात करूँ तो हिमसुंदरी के आवरण चित्र ने ही नहीं अपितु उसके शीर्षक ने भी मेरा ध्यान अपनी और आकृष्ट कर दिया था इसलिए मैं जो कि मौत का रहस्य किताब लेने लिए विश्व बुक्स के स्टाल में गया था वो इस किताब को भी लेकर आ गया। 

चलिए पहले आवरण चित्र को ही देख लेते हैं:

हिमसुंदरी - यमुना दत्त वैष्णव
हिमसुंदरी - यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक'

तो यह रहा हिमसुंदरी का आवरण चित्र। अगर आप आवरण चित्र को देखेंगे तो पायेंगे कि आवरण चित्र में दो चीजें प्रमुख तौर पर दिखाई दे रही हैं। 

पहली चीज जो व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करती है वह दो बड़े हिमखण्ड हैं जिससे ऐसा लगता है कि यह चित्र किसी बर्फीले पहाड़ी इलाके का है। 

दूसरी चीज जो आवरण चित्र में दर्शाई गयी है वह एक बर्फ में ढकी हुई मानवीय आकृति है। आकृति को देखने से पता चलता है कि यह एक महिला है जो कि खड़ी है और बर्फ ने उसे कैद करके रखा है। 

यह दोनों ही चीजें पाठक के मन में उत्सुकता पैदा करने के लिए  काफी हैं। निम्न प्रश्न पाठक के मन में सहज ही उत्पन्न हो जाते हैं:

यह किस जगह का चित्र है और इस चित्र में दर्शाई दे रही यह महिला कौन है? 

क्या यही वह हिमसुंदरी का जिसके ऊपर इस किताब का शीर्षक है? 

फिर एक और प्रश्न आपके मन में आता है कि यह महिला इस बर्फ की कैद में कैसे आई और क्या इस उपन्यास में इस कहानी को भी उजागर किया जाएगा?

चूँकि यह दृश्य हम देख रहे हैं तो इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किताब के किसी चरित्र को यह दृश्य दिखाई दिया होगा। आखिर वह चरित्र कौन है और वह इस वीरान इलाके में क्या कर रहा था? 

ऐसे ही कई प्रश्न मेरे मन में जागृत हो गये थे और इनके उत्तर खोजने के लिए ही मैंने इस उपन्यास को उठा दिया था और उलटने पलटने पर मुझे किताब के बैककवर पर जो लिखा मिला उसने मेरी उत्सुकता किताब के प्रति जगा दी और किताब मैंने ले ही ली।

अब इस किताब को पढ़ने का मौका लगा है। मेरे मन में जो ये प्रश्न उठे थे उनके उत्तर यह किताब दे पाती है या नहीं ये तो जुदा विषय है लेकिन एक बात तय है कि आवरण चित्र पाठक के मन में एक उत्सुकता जगाने में कामयाब हो जाता है। किताब के आवरण चित्र को डिजाईन करने वाले व्यक्ति एक अच्छे आवरण के लिए बधाई के पात्र हैं। इस पुस्तक में उनका नाम तो नहीं है लेकिन उम्मीद है वह ऐसे ही उम्दा आवरण चित्र बनाते रहेंगे। 

आपको यह आवरण चित्र कैसा लगा? मुझे बताइयेगा।

किताब आप मँगवाना चाहे तो अमेज़न से निम्न लिंक के माध्यम से मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक | किंडल

© विकास नैनवाल 'अंजान'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट