मंगलवार, 23 जून 2020

आवरण चित्र: रहस्य - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा

हुत दिनों से इधर कुछ पोस्ट नहीं कर पाया हूँ। इसका एक कारण यह भी है कि कई दिनों से कोई रोचक आवरण चित्र नहीं दिखा। इस महीने वैसे भी पढ़ना कम ही हुआ। अब जनप्रिय ओम प्रकाश शर्मा जी का उपन्यास रहस्य पढ़ने को निकाला है। 


रहस्य का आवरण चित्र बरबस ही आपका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर देता हैं। पहले आवरण देखिये।

रहस्य - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा 

अगर इस आवरण चित्र को गौर से देखें तो इसमें तीन स्त्रियाँ दर्शाई गयी हैं। दो स्त्रियाँ विलाप करती सी प्रतीत होती हैं और एक स्त्री मुँह पर हाथ रखे ऐसे भाव दर्शा रही है जैसे वो घबराई हो या बहुत आश्चर्यचकित हो गयी हो। 

पहले दो विलाप करती स्त्रियों की बात करें तो उनमें से एक बड़ी उम्र की लगती है और एक छोटी उम्र की है। बड़ी उम्र की स्त्री ने साड़ी पहने है और जवान लड़की आधुनिक पाश्चात्य परिधान में है। इन दोनों के बीच कुछ न कुछ रिश्ता प्रतीत होता है। यह रिश्ता क्या है? यह सोचने वाली बात है। यह दोनों माँ बेटी भी हो सकती हैं, बहने भी हो सकती हैं और भाभी ननद भी हो सकती हैं। दोनों रो रही हैं तो एक प्रश्न मन में यह भी उठता है कि यह किस कारण रो रही हैं? क्या कोई दुर्घटना हुई है? अगर हाँ तो वह क्या है? क्या 'रहस्य' से इनका कुछ लेना देना है?

वहीं इनके अतिरक्त जो तीसरी स्त्री है वह हैरान या घबराई हुई लग रही है। वह हैरान है तो क्यों है? यह घबराई हुई है तो क्यों है? क्या यह घबराहट या हैरानी इसी रहस्य के चलते है? यह प्रश्न भी मन के किसी कोने में उठते हैं। 

वहीं इस आवरण चित्र को देखें तो हम एक दूसरे कोण से इसके विषय में सोच सकते हैं। पाठक के मन में यह ख्याल आ सकता है कि आवरण में तीनों ही स्त्री पात्र क्यों है? क्या यह महिला प्रधान उपन्यास है? और उपन्यास में जिस रहस्य का जिक्र हो रहा है क्या उससे इन महिला पात्रों का कोई लेना देना है या केवल ऐसे भी आवरण में इन चित्रों का प्रयोग किया है? 

आवरण को देखते हुए ये जो प्रश्न मन में उठते हैं इन्हीं के उत्तर जानने के लिए पाठक उपन्यास जरूर पढ़ना चाहेगा और इस लहजे से यह आवरण सफल है। यह उपन्यास के कथानक के प्रति उत्सुकता मन में जगाता है।

आवरण चित्र के कोने में अंग्रेजी में F Hashmi लिखा हुआ है। यह शायद इस आवरण चित्र को बनाने वाले पेंटर के दस्तखत होंगे। अगर उनसे जान सकता तो जरूर जानता कि इस आवरण चित्र को बनाने के लिए प्रकाशक ने उनसे क्या कहा था और उन्होंने फिर प्रकाशक या लेखक के विज़न को अपनी कूचियों में ढाला था। 

अगर आपको एफ हाश्मी जी के विषय में ज्यादा जानकारी हो तो उसे मुझसे जरूर साझा कीजियेगा। 

आपके मन में इस आवरण को देखकर क्या प्रश्न उठते हैं? 

उन सवालों को भी मेरे साथ जरूर साझा कीजियेगा।

© विकास नैनवाल 'अंजान'

6 टिप्‍पणियां:

  1. पुराने उपन्यासों के आवरण बीते दिनों की तत्कालीन सोच, तत्कालीन पसंद, चलन को दर्शाते हैं। बेहतर तकनीक के अभाव में हैंड मेड कवर या चित्र बनाए जाते रहे हैं। वक्त के साथ तकनीक में बदलाव आया और आवरण भी बदल गए। इसमें कंप्यूटर के चलन का बड़ा हाथ है। यह जरूर है कि पुराने आवरण रेट्रो फील देते हैं और पाठक को पुराने वक्त में सहज ही ले जाते हैं। इसका भी काफी महत्व है।

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    1. जी, सही कहा। ये आर्ट पीसेस होते थे। मैं तो अक्सर यही सोचता हूँ कि इनके ओरिजिनल आर्ट पीसेस किधर होंगे। प्रसिद्ध उपन्यासों के ऐसे आर्ट पीस संगरक्षित किये जाने योग्य थे....

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  2. वाह बहुत खूब बढ़िया चित्रण साधुवाद

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  3. हमने तो यह भी पढ़ा है कि उस समय title और cover page पहले तैयार किये जाते थे , उपन्यास बाद में लिखे जाते थे I

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    1. ये भी हो सकता है। अभी इसी उपन्यास को पढ़ रहा हूँ और इसमें औरतों का किरदार उभर कर आ रहा है और यह आवरण चित्र सटीक लगता है। मुझे लगता है अगर आवरण पहले बनता भी था तो कुछ तो निर्देश प्रकाशक लेखक और कलाकार को देता रहा होगा।

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