गुरुवार, 19 मार्च 2020

आवरण चित्र: बदला - ओम प्रकाश शर्मा 'जनप्रिय लेखक'

हिन्दी पल्प उपन्यासों के आवरण चित्रों की श्रृंखला मैं आपके समक्ष आज 'जनप्रिय लेखक' ओम प्रकाश शर्मा जी के उपन्यास बदला का आवरण चित्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह किताब मुझे अपने एक दोस्त द्वारा पढ़ने को दी गयी है। किताब में दर्ज जानकारी के हिसाब से इस किताब का पहला संस्करण 1992 में जनप्रिय लेखक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था। यह संस्करण कौन सा है इसकी कोई जानकारी इस किताब में नहीं दी गयी है। हाँ, यह जरूर बताया गया है कि उपन्यास के रूप में छपने से पहले इस किताब की कड़ियाँ हर रविवार कलकत्ते से प्रकाशित दैनिक सन्मार्ग से प्रकाशित हुई थीं। यह जानना रोचक है। वैसे आज भी पत्रिकाओं के कई उपन्यास इस तरह छपते हैं। आवरण  चित्र के ऊपर बात करने से पहले चलिए आवरण चित्र को देखते हैं।


बदला


आवरण चित्र में मुख्य रूप से तीन चीजें बनी हुई हैं। उपन्यास के बायीं तरफ एक मर्द बना हुआ है। मर्द की एक  आँख जो दिख रही है वो लाल हो रखी है। उसके होंठों में एक एक सिगरेट दबी हुई है और चेहरे पर क्रोध के भाव हैं। ऐसा लग रहा है जैसे या तो वो नशे में है या वो रोकर हटा है जिस कारण आँख लाल है। आवरण चित्र के बीच में एक हाथ बना हुआ है जिस पर साइकिल की चैन लिपटी हुई है जो कि होने वाली हिंसा का द्योतक है। आवरण देखकर आप सोच में पड़ जाते हैं कि क्या इसी हाथ द्वारा की गयी हिंसा का बदला लिया जा रहा है या यह चैन को लपेटे हुए जो हाथ है वह बदला लेने वाले का है। आवरण चित्र के दायीं तरह एक औरत का चित्र है। औरत घबराई हुई लग रही है। चित्र देखकर ही मन में प्रश्न उठता है कि यह औरत क्यों घबराई हुई है। आखिर इसके साथ ऐसा क्या हुआ था कि यह ऐसे घबरा गयी है। क्या बदला लेने वाले से इस औरत का सम्बन्ध है? आखिर बदला किस चीज का लिया जा रहा है और इन तीनों पात्रों में क्या सम्बन्ध है?

उपन्यास के आवरण को देख सहज ही ऊपर दिए गये ख्याल मन में उत्पन्न हो जाते हैं। उपन्यास में बढ़े बढ़े  अक्षर में लिखा गया शीर्षक और लेखक का नाम तो मौजूद है ही लेकिन शीर्षक के नीचे छोटे छोटे शब्दों में लिखा गया है कि उपन्यास जगत सीरीज का उपन्यास है। मैंने आज तक जगत सीरीज को नहीं पढ़ा लेकिन जो जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा जी को पढ़ते आये हैं वो उनके इस पात्र से वाकिफ होंगे और इस सीरीज का नाम पढ़कर और इस आवरण चित्रों में दी गयी तस्वीर देखकर कहानी का एक खाका तो उनके दिमाग में आ ही जाता होगा। इस लिहाज से यह आवरण मुझे तो अच्छा लग रहा है। यह उपन्यास के प्रति कोतुहल जगाता है।


आवरण के दायें तरफ कोने में कासिम नाम दर्ज है जो कि शायद इस आवरण चित्र बनाने वाले कलाकार का होगा। यह मेरा अंदाजा ही है। अगर आपको इन चित्रकार के विषय में कुछ पता है तो मुझे जरूर बताइयेगा। यह आवरण आपको कैसा लगा और इस आवरण को देखकर आपका कथानक के प्रति कोतुहल जगा या नहीं यह भी मुझे जरूर बताइयेगा।

© विकास नैनवाल 'अंजान'

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