गुरुवार, 9 जनवरी 2020

आवरण चित्र: गढ़ी के खंडहर

गढ़ी के खंडहर - राजनारायण बोहरे
कहा जाता है फर्स्ट इम्प्रैशन इस द लास्ट इम्प्रेशन। कई लोग इस बात को मानते भी हैं। कई मामलों में यह सत्य भी होता है। हम किसी चीज का अनुभव करते हैं तो पहले अनुभव से हम उस चीज के प्रति अपनी धारणा बना भी देते हैं। फिर वह अनुभव चाहे किसी नये व्यक्ति से मिलने का हो या किसी चीज को पहली बार देखने का।

लेकिन फिर जीवन में कई लोग और चीजें ऐसी मिलती हैं जो पहली दफा तो आपको प्रभावित नहीं करती हैं लेकिन अगर आप उनके पास दोबारा जाओ तो तब जाकर उनका प्रभाव आप पर असर डालता है।

ऐसा ही अनुभव मुझे 'गढ़ी के खंडहर' के आवरण चित्र के साथ हुआ। जब पहली बार बुक फेयर में मैंने इसे देखा तो मुझे यह साधारण लगा। किताब में काफी गहरे रंगों का प्रयोग था। मुझे आवरण चित्र ने आकर्षित नहीं किया और मैंने इसे नहीं लिया।  इसके जगह मैंने कुछ और किताबें ले ली थीं।

वहीं मेरे मित्र को यह कवर पसंद आया तो उन्होंने इसे ले लिया। मेरे दोस्त फिलहाल मेरे साथ ही रह रहे हैं तो इस कारण मुझे इस किताब को दोबारा देखने का मौक़ा मिला तो और इस दोबारा हुई मुलाकात में इसने मुझ पर असर डाला। कवर को गौर से देखने पर मैंने पाया कि इसमें रात का एक दृश्य दिखाया जा रहा है।

गहरी अँधेरी रात है। एक किला नुमा जगह है और आवरण चित्र के नीचे की तरफ दायें कोने में दो व्यक्ति गुत्थमगुत्था हो रखे हैं। एक व्यक्ति दूसरे पर प्रहार करता सा दिखता है। नीले काले रंग का संयोजन काफी अच्छा बन पड़ा है। कोने में मौजूद व्यक्ति कवर को रहस्यमयी बनाते हैं।

शीर्षक चूँकि गढ़ी का खंडहर था तो मुझे यह तो अंदाजा था कि यह गढ़ी के खंडहर का ही दृश्य है। लेकिन यह दो व्यक्ति कौन हैं और ये क्यों लड़ रहे हैं? इतनी रात गये यह लोग इस खंडहर में क्या कर रहे हैं?

यह सब सवाल इस आवरण चित्र को देखकर अचानक से मन में आते हैं। इस कवर का सबसे जरूरी हिस्सा यही दो आपस में  लड़ते हुए व्यक्ति हैं। यही वो हिस्सा हैं जिसे मैंने जब पहली बार कवर उठाया था तो जल्दबाजी में नहीं देखा था लेकिन जब दूसरी बार उठाया तो देखा और इस कारण इस आवरण चित्र को मैंने आकर्षक पाया।

सवालों के जवाब तो मुझे किताब पढ़कर मिल ही जाने थे। लेकिन, ये बात तो तय हो गयी थी कि कभी कभार आप किसी चीज को ठहर के देखो या दूसरी बार देखो तो यह आपको आकर्षित कर देती है।

अगर जल्दबाजी में देखो या पहली बार देखो तो ऐसी कई पहलू होते हैं जिन पर आपका ध्यान नहीं जाता और आप उनके प्रति गलत राय भी बना सकते हैं।

इसके ऊपर आपका क्या सोचना है?

आवरण चित्र मुझे तो पसंद आया। आपका क्या ख्याल है?

©विकास नैनवाल 'अंजान'

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