मंगलवार, 12 नवंबर 2019

न आने वाला कल - आवरण

वैसे तो यह ब्लॉग पल्प उपन्यासों के आवरण चित्रों के लिए बनाया था लेकिन अब सोचा ही कि  हर तरह के साहित्य के आकर्षक आवरण इधर डाला करूँगा। पिछले दिनों अमेज़न में विचरण करते हुए कुछ उपन्यासों के आवरणों ने बरबस ही मेरी नज़र अपनी और खींची। उन्हीं के विषय में जब मन होगा इधर लिखा करूँगा। 

सबसे पहले जिस उपन्यास का कवर मुझे पसंद आया वो मोहन राकेश का उपन्यास ना आने वाला कल का आवारण है।
उपन्यास हिन्द पॉकेट बुक्स जो कि अब पेंगुइन ने ले लिया है से आया है। हिन्द से आने वाले काफी उपन्यासों के आवरण काफी आकर्षक हैं।  

 पहले तो आवरण देखिये।





है न सुन्दर सा कवर? कवर में एक पुरुष है हो कुर्सी पर बैठा कुछ सोच रहा है और एक नारी है जो तिरीछी नज़रों से पाठक  को देखती सी प्रतीत हो रही है। ऐसा लग रहा है जैसे वह आपको अपने जीवन में आमत्रित करना चाहती है। यह नारी कौन है और उसका इस पुरुष से क्यारिश्ता है? यह पुरुष किस सोच में डूबा है? क्या इनके जीवन में सब कुछ ठीक है? क्या यह नारी पाठक से अपने मन की बात कहना चाहती है? ऐसे कई प्रश्न पाठक के रूप में मेरे मन में इस कवर को देखते हुए उठ रहे हैं? फिर इस आवरण का चटक रंग भी आपकी नज़रों को अपने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर देता है।

यह कवर मुझे पसंद आया था और मैंने इस किताब को ले लिया था।

रोचक बात यह है कि मैंने न आने वाले कल (लिंक पर क्लिक करके आप मेरी राय जान सकते हैं।) को काफी पढ़ लिया था लेकिन जिस संस्करण को मैंने खरीदा था उसका कवर इतना आकर्षक नहीं था। यह कवर ज्यादा आकर्षक है और हो सकता है इस कारण मैं इस किताब को दोबारा पढ़ लूँ।

मेरे पास मौजूद पुराने संस्करण का कवर


क्या आपके पास भी एक ही किताब के ऐसे संस्करण मौजूद हैं जिन्हे आपने केवल आकर्षक कवर के चलते खरीदा है? अगर हैं तो बताइये मुझे भी।

उपन्यास आप निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं:
न आने वाला कल

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