शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

आवरण चित्र : लाल रेखा

लाल रेखा - कुशवाहा कांत
पिक्चर क्रेडिट: सुजाता देवराड़ी
लाल रेखा के विषय में मैंने तब पढ़ा था जब मैं हिन्दी पल्प उपन्यासों के विषय में लिखे लेख खोज खोज कर पढ़ता था। फिर एक लेख कुशवाहा कान्त के विषय में भी पढ़ने को मिला और उन लेखों से भी किताबों की मकबूलियत का अहसास हुआ। मन में लाल रेखा पढ़ने की इच्छा जागी थी लेकिन चूँकि उपन्यास काफी वक्त से आउट ऑफ़ प्रिंट था तो इस क्षुधा को शांत करने के लिए मैं कुछ नहीं कर सकता था। रमाकांत जी ने जासूसी संसार के माध्यम से इसका स्कैन पढ़ने की व्यवस्था भी की थी लेकिन स्कैन पढ़ने में वो मज़ा नहीं आता है जो किताब हाथ में लेकर पढ़ने में आता है।

ऐसे में जब अमेज़न पर तफरी करते हुए बरबस ही इस आवरण चित्र ने मुझे अपनी तरफ आकर्षित किया तो मेरा हैरान होना लाजमी था। इस आवरण में रंगों को जो संयोजन है वह आपकी दृष्टि अपनी तरफ खींच लेता है। जिस लाल रेखा की मुझे तलाश थी वो आखिर पुनः प्रकाशित हो गयी थी। इसलिए बिना वक्त गँवाये मैंने इसे खरीद लिया था।

चूँकि यह ब्लॉग पुस्तक के आवरण चित्रों के ऊपर ही है तो अब मैं उपन्यास की बात न करके इसके आकर्षक आवरण चित्र की ही बात करूँगा।

इस आवरण चित्र को आप गौर से देखें तो मुख्य रूप से आपको दो किरदार दिखते हैं। एक स्त्री और एक पुरुष। आवरण देखकर ही लगता है कि कथानक इन्हीं दो किरदारों के इर्द गिर्द घूमता है। मुझे यह पता है कि पुरुष का नाम लाल है और स्त्री का नाम रेखा है। लेकिन जिस तरह से शीर्षक को लिखा गया है उससे साफ लगता है कि एक लाल रेखा अन्य भी है जो इन्हे विभाजित कर रही है।इन्हे अलग कर रही है।

किरदारों के अतिरिक्त काफी लोग हैं जो आउट ऑफ़ फोकस है। यह आउट ऑफ़ फोकस चित्र स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों की याद दिलाता है। इसका आवरण में होना भी यह दर्शाता है कि इस आंदोलन का इन मुख्य किरदारों के जीवन में कुछ न कुछ असर पड़ता होगा।

क्या यह आंदोलन ही वह रक्त रंजित लाल रेखा है जो इनके अलगाव का कारण बनेगी?? आखिर कौन हैं ये स्त्री और पुरुष? इनका इस आंदलोन से क्या लेना देना है?

ऐसे ही कई प्रश्न केवल इस आवरण को देखने भर से आपके मन में उभरेंगे। इसके लिए आपको उपन्यास की कथावस्तु से परिचित होने की आवश्यकता नहीं है। एक अच्छा आवरण चित्र यही काम करता है। वह किताब के कथानक के प्रति एक संकेत देता है। पाठक के मन में उस किताब के प्रति कौतूहल जगाता है।

इसलिए उपन्यास कैसा होगा यह तो इसे पढ़ने के बाद में पता चलेगा लेकिन आवरण चित्र बनाने वाली अर्चना जैन जी बधाई की पात्र हैं।

मेरे नज़र में यह एक अच्छा आवरण चित्र है।


लाल रेखा के ऊपर लिखा लेख जिसने मेरी रूचि इस उपन्यास के प्रति जगाई थी:
लाल रेखा 

कुशवाहा कान्त जी के ऊपर लिखा लेख जिसने मेरी रूचि कुशवाहा कान्त और उनके उपन्यासों के प्रति जगाई थी:
कुशवानी


© विकास नैनवाल 'अंजान'

2 टिप्‍पणियां:

  1. लोकप्रिय साहित्य का एक अनमोल मोती गंभीर साहित्य में भी चर्चित रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन पर लिखा गया यह एक रोचक उपन्यास है।
    धन्यवाद।
    गुरप्रीत सिंह

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