शीर्षक : मुखबिर
लेखक : अनिल मोहन
शीर्षक और कवर में कोई ताल मेल मुझे तो नहीं दिखता है। कवर में पैसा है, एक आदमी है, एक औरत है, एक गन है लेकिन मुखबिर नदारद है। खैर, हिंदी पल्प में आम तौर में मौजूद हर इनग्रीडिएन्ट तो कवर में दिखा ही दिए हैं। कवर साधारण है और जहाँ तक मुझे याद था कहानी भी साधारण ही थी।
मैंने उपन्यास पढ़ा हुआ है(शीर्षक पे क्लिक करके मेरे विचार आप पढ़ सकते हैं)। बाकी कवर का आनंद उठाइए।
लेखक : अनिल मोहन
शीर्षक और कवर में कोई ताल मेल मुझे तो नहीं दिखता है। कवर में पैसा है, एक आदमी है, एक औरत है, एक गन है लेकिन मुखबिर नदारद है। खैर, हिंदी पल्प में आम तौर में मौजूद हर इनग्रीडिएन्ट तो कवर में दिखा ही दिए हैं। कवर साधारण है और जहाँ तक मुझे याद था कहानी भी साधारण ही थी।
मैंने उपन्यास पढ़ा हुआ है(शीर्षक पे क्लिक करके मेरे विचार आप पढ़ सकते हैं)। बाकी कवर का आनंद उठाइए।
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