शीर्षक : पच्चीस करोड़ की लाश
लेखक: राज
इस उपन्यास का शीर्षक ही काफी कुछ सोचने पे मजबूर कर देता है। कोई लाश पच्चीस करोड़ की कैसे हो सकती है? क्या उसके मरने के बाद मारने वाले को पच्चीस करोड़ मिलने वाले थे? या लाश में ही कुछ विशेष बात थी। अगर कवर को देखें तो उसमे एक स्त्री है जिसके मुँह से रक्त बह रहा है और हम ये अंदाजा लगा सकते हैं कि लाश उसी की है। इसके इलावा एक वकील है और एक बन्दूक ताने व्यक्ति खड़ा है।
कवर मुझे आकर्षक लगा है। आपका क्या ख्याल है?
लेखक: राज
इस उपन्यास का शीर्षक ही काफी कुछ सोचने पे मजबूर कर देता है। कोई लाश पच्चीस करोड़ की कैसे हो सकती है? क्या उसके मरने के बाद मारने वाले को पच्चीस करोड़ मिलने वाले थे? या लाश में ही कुछ विशेष बात थी। अगर कवर को देखें तो उसमे एक स्त्री है जिसके मुँह से रक्त बह रहा है और हम ये अंदाजा लगा सकते हैं कि लाश उसी की है। इसके इलावा एक वकील है और एक बन्दूक ताने व्यक्ति खड़ा है।
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